न हुआ न हो रहा न होने के आसार,पर होता खूब प्रतीत होता ये संसार || आचार्य प्रशांत (2014)
2019-11-28 0 Dailymotion
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शब्दयोग सत्संग ९ अप्रैल २०१४ अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग: न हुआ न हो रहा न होने के आसार,पर होता खूब प्रतीत होता ये संसार संसार इतना आकर्षक मालूम क्यों पड़ता हैं ? हम मै ये अभिमान क्यों रहता है कि हम संसार में बहुत महत्वपूर्ण हैं?